ब्रिटिश संसद ने भारत को भारत स्वतंत्रता अधिनियम 1947 के तहत आजादी दी थी।
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ब्रिटिश संसद ने भारत को भारत स्वतंत्रता अधिनियम 1947 के तहत आजादी दी थी।
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उल्लेखनीय है कि विलय कराने वाला भारत स्वतंत्रता अधिनियम 1947 अभी भी जीवित है, जिसे रद्द नहीं किया जा सकता है।
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इसकी कोई वैधानिक स्थिति नहीं है, क्योंकि इस प्रकार के सशर्त विलय का कोई प्रावधान भारत स्वतंत्रता अधिनियम 1947 में नहीं था।
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ब्रिटिश संसद के भारत स्वतंत्रता अधिनियम 1947 में जम्मू-कश्मीर के निवासियों को शेष भारत के नागरिकों से अलग जनमत संग्रह का अलग अधिकार नहीं दिया गया था।
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भारत स्वतंत्रता अधिनियम 1947 की किसी भी धारा में यह उल्लेख नहीं है कि किसी रियासत विशेष से जनमत संग्रह के निर्णय के आधार पर विलय किया जाएगा।
7.
लेकिन उनके दुर्भाग्य से भारत स्वतंत्रता अधिनियम १ ९ ४ ७ के माध्यम से वे केवल ब्रिटिश भारत का विभाजन कर सकती थी, भारतीय रियासतों का नहीं।
8.
• केबिनेट मिशन ज्ञापन के तहत, भारत स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 द्वारा इन राज्यों की प्रभुता की समाप्ति घोषित हुई, राज्यों के सभी अधिकार वापस लिए गए, व राज्यों का भारतीय संघ में प्रवेश किया गया।
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• भारत सरकार अधिनियम, 1935 और भारत स्वतंत्रता अधिनियम 1947 के तहत यदि एक भारतीय राज्य प्रभुत्व को स्वींकारने के लिए तैयार है, व यदि भारत का गर्वनर जनरल इसके शासक द्वारा विलयन के कार्य के निष्पादन की सार्थकता को स्वीकार करे, तो उसका भारतीय संघ में अधिमिलन संभव था।
10.
जम्मू-कश्मीर क़ा भारत में विलय-नेहरु जी की गलत नीतियों के कारण [शेख अब्दुल्ला मोह] महाराज बहुत दुखी थे लौह पुरुष सरदार पटेल की योजना से संघ के सरसंघचालक श्री गुरु जी ने बार्ता कर राजा को विलय के लिए तैयार कर लिया, महाराजा हरी सिंह ने भारत स्वतंत्रता अधिनियम, १ ९ ४ ७ के प्रदत्त अधिकारों क़ा उपयोग करते हुए जम्मू-कश्मीर राज्य क़ा भारत में विलय २ ६ अक्टूबर १ ९ ४ ७ को विलय पत्र पर हस्ताक्षर करके किया.